उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा करता हैं कंज्यूमर कोर्ट, जानें किस तरह दर्ज करा सकते हैं शिकायत

By: Pinki Fri, 24 Sept 2021 2:33:50

उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा करता हैं कंज्यूमर कोर्ट, जानें किस तरह दर्ज करा सकते हैं शिकायत

देश के कंज्यूूमर कोर्ट ने दिल्ली के एक सैलून को महिला के गलत हेयर ट्रीटमेंट करने पर दो करोड़ रूपये देने को कहा है। यह मामला लक्जरी होटल चेन ITC से जुड़ा है। आशना रॉय नाम की इस महिला ने ITC मौर्य होटल में स्थित सैलून में बाल कटवाए थे और हेयर ट्रीटमेंट करवाया था। उस वक्त सैलून ने गलत तरीके से बाल काट दिए थे और गलत हेयर ट्रीटमेंट की वजह से उनके बालों और सिर को नुकसान पहुंचा। जिसकी वजह से महिला को बड़ा नुकसान हुआ। उसकी लाइफस्टाइल बदल गई और टॉप मॉडल बनने का उसका सपना टूट गया। महिला हेयर प्रोडक्ट्स के लिए मॉडलिंग करती थीं। उन्होंने कई बड़े ब्रांड्स के लिए मॉडलिंग की थी, लेकिन होटल ने उनके निर्देशों के उलट उनके बाल काट दिए, जिससे उनके हाथ से कई बड़े प्रोजेक्ट्स निकल गए और उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। उन्हें मानसिक आघात हुआ और उनकी नौकरी भी चली गई।

कंज्यूमर कोर्ट की एक बेंच के प्रसिडेंट आरके अग्रवाल और सदस्य एसएम कांतिकर ने महिला को यह मुआवजा दिलवाया। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने बालों के लिए बहुत फिक्रमंद होती हैं, उन्हें खूबसूरत बनाए रखने के लिए अच्छा पैसा खर्च करती हैं और उससे भावनात्मक तरीके से जुड़ी होती हैं। कोर्ट ने कहा कि महिला का स्कैल्प जल गया, जिसमें महिला को अब तक एलर्जी और इचिंग रहती है। महिला की तरफ से दाखिल किए गए वॉट्सऐप चैट से यह साफ हुआ कि होटल ने अपनी गलती मानी थी और फ्री ट्रीटमेंट देने की पेशकश करके अपनी गलती छुपाने की कोशिश भी की थी। कोर्ट ने होटल को यह मुआवजा देने के लिए 8 हफ्तों का समय दिया है।

जानें कंज्यूमर कोर्ट के बारें सब कुछ

आपको बता दे, कंज्यूमर कोर्ट (उपभोक्ता न्यायालय) भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के विशेष उद्देश्य से बनाया हुआ न्यायालय है। ये न्यायालय भारत सरकार ने उपभोक्ता अधिकारों की विशेष देख-रेख और रक्षा के लिए बनाये हैं।

ये उपभोक्ताओं की सभी शिकायतों को सुनते हैं और उचित फैसला लेने का अधिकार रखते है। इनका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि विक्रेता उपभोक्ता के प्रति ईमानदार रहे, जिससे की व्यवसाय भी सुचारू रूप से हो और उपभोक्ता का शोषण भी ना हो।

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अगर आप उपभोक्ता हैं तो आपके साथ विक्रेता द्वारा किये हुए किसी भी धोखे, शोषण या उत्पीड़न की शिकायत आप कंज्यूमर कोर्ट में दर्ज करा सकते हैं। आप सीधे ही विक्रेता के खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। पर केस दर्ज कराते समय आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा।

कंज्यूमर कोर्ट उपभोक्ता के हक़ में तभी फैसला सुनाते हैं, जब उपभोक्ता के पास वह सब सबूत हों जो ये बताते हों की उनका वास्तव में शोषण हुआ है। अगर उपभोक्ता के पास किसी भी प्रकार का कोई भी सबूत ना हो तो उनके हक़ में फैसला होना बहुत मुश्किल है।

कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कैसे दर्ज करायें?

शिकायत दर्ज कराने से पहले इन बातों का रखना होगा ध्यान

- सबसे पहली बात, शिकायत दर्ज कराने के लिए सबसे ज़रूरी यह है कि सबसे पहले आप उपभोक्ता हों।
- दूसरी बात, केस दर्ज कराने से पहले ये ज़रूरी है कि आप सप्लायर या फिर सेवा-प्रदाता कंपनी को एक नोटिस भेजें जिसमें आपकी शिकायत का पूरा ब्यौरा हो और साथ ही जिसमें उन से उस शिकायत को दूर करने के लिए कार्यवाही करने को कहा हो। आप उन्हें एक महीने का नोटिस दे सकते हैं, अपनी गलती या त्रुटी सुधारने के लिए।
- तीसरी और महत्त्वपूर्ण बात ये है कि आपको दो साल के अन्दर-अन्दर कंज्यूमर कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज करानी होती है। दो साल बाद की गई शिकायत वैध नहीं मानी जाएगी

शिकायत कैसे दर्ज करें:

- अगर एक महीने के अन्दर विक्रेता आपकी शिकायत के नोटिस पर कोई कार्यवाही नहीं करता है, तो आपको अपना अगला कदम उठाना चाहिए। अब आपको एक औपचारिक शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
- ये औपचारिक शिकायत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत दर्ज की जाती है।
- शिकायत करने के लिए आप को किसी वकील की आवश्यकता नहीं होती। आप को अगर शिकायत पेश करना नहीं आता है, या इससे सम्बंधित कोई मदद चाहिए हो, तो आप उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की मदद भी ले सकते हैं।
- आपको बस एक शिकायत पत्र भरना होता है और उसे कंज्यूमर आयोग को जमा कराना होता है।
- आपको उस जिले में ही शिकायत दर्ज करानी चाहिए जहाँ पर दूसरी पार्टी (जिससे शिकायत है) है या उसका ऑफिस या कोई प्रोजेक्ट चल रहा है। इससे त्वरित गति से केस का निपटारा हो पाता है।
- भारत में आप https://consumerhelpline.gov.in/ इस साईट पर जा कर अपनी शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं।

देना पड़ता है शुल्क

आपको शिकायत दर्ज करने के लिए एक निश्चित शुल्क देना होता है जो की आप डिमांड ड्राफ्ट से दे सकते हैं।

अगर आप का दावा 20 लाख रूपये से कम का है तो आपकी याचिका पर सुनवाई जिला उपभोक्ता निवारण फोरम करता है।

शिकायत शुल्क:

- 1 लाख तक: 100 रूपए
- 1 से 5 लाख तक: 200 रूपए
- 5 से 10 लाख तक: 400 रूपए
- 10 लाख से ऊपर: 500 रूपए

अगर आप का दावा 20 लाख से 1 करोड़ तक का है तो आपकी याचिका पर सुनवाई राज्य उपभोक्ता निवारण फोरम करता है।

शिकायत शुल्क:

- 20 लाख से 50 लाख तक: 2000 रूपए
- 50 लाख से 1 करोड़ तक: 4000 रूपए

अगर आप का दावा 1 करोड़ से ऊपर का है तो आपकी याचिका पर सुनवाई राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण फोरम करता है।

शिकायत शुल्क:

- किसी भी राशि तक: 5000 रूपए

इसके अलावा अगर आपको कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप आप सीधे कंज्यूमर कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट www.consumerhelpline.gov.in पर जा सकते हैं। यहाँ पर शिकायत दर्ज कराना बहुत ही आसान है और सुरक्षित भी है। अगर आप को वेबसाइट का प्रयोग करने में कोई असुविधा हो या इससे जुडी कोई सहायता आपको चाहिए हो, तो आप कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 (बीएसएनएल व एमटीएनएल उपभोक्ताओं के लिए) पर फोन कर के भी पूछ सकते हैं। ये हेल्पलाइन उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए ही बनायी गयी है।

किन परिस्थितियों में आप शिकायतें दर्ज कर सकते हैं

- बिना स्वीकृति ने निर्माण कार्य करना
- बुकिंग में धोखा करना
- छिपे हुए शुल्क लेना
- भूमि पर अधिकार देने में देरी करना- बाहरी विकास शुल्क में आकस्मिक बढ़त
- भूमि के उपयोग की योजना में बिना सहमती परिवर्तन करना
- कम-मानक या उप-मानक कार्य करना
- अधिग्रहित भूमि पर अवैध रूप से कुछ निर्माण करना आदि।- किसी तीसरे को फायदा पहुंचाना
- किसी परियोजना को बीच में ही बंद कर देना जिसमें उपभोक्ता का पैसा लगा हो
- उपभोक्ता की राशि को जब्त कर लेना

क्यों की गई है कंज्यूमर कोर्ट की रचना?

कंज्यूमर कोर्ट की रचना इसीलिए की गयी है, ताकि आपको साधारण कोर्ट में बहुत ही लम्बे समय तक अपने केस को ना लढना पड़े। इसलिए इसकी सेवाओं का कोई भी धोका धडी या शोषण होने पर बेहिचक प्रयोग करें।

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